Thursday, November 1, 2012

बिहार : विशेष राज्य का दर्जा

बिहार के बंटवारे के बाद सारा खनिज झारखण्ड के हिस्से चला गया, उस समय बिहार में रा ज द की सरकार थी और केंद्र में नीतीश समर्थित एन डी ए की, तब भी राजद ने बिहार के विकास के लिए राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात की थी, लेकिन एन डी ए की सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और न ही नीतीश जी ने कुछ कहा. तत्कालीन एन डी ए सरकार ने  न तो विशेष पैकेज ही दिया और ना विशेष राज्य का दर्ज़ा.  जबकि बिहार पुर्नगठन विधेयक के प्रावधान में ही यह दर्ज है कि राज्य को विशेष सहूलियत दी जाए। अब केंद्र में कांग्रेस शासित सरकार और बिहार में नीतीश कुमार की ज द (यु) और भाजपा की सरकार सत्ता में है . अब नीतीश कुमार जी विशेष पैकेज और विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं, आन्दोलन कर रहे है, हस्ताक्षर अभियान चला रहे है, जन्तर मंतर दिल्ली में धरना दे रहे है, और ठीक इसके विपरीत अपने विधायकों और मंत्रियों के वेतन भत्ते में कई गुना की बढ़ोतरी कर रहे हैं.

हालांकि पिछले साल के मुकाबले चार हजार करोड़ ज्यादा की योजना को योजना आयोग से  मंजूरी दिए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को जारी रखा है.   योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिह अहलूवालिया और नीतीश कुमार के बीच नई दिल्ली में २७ जून २०१२ को  हुई एक बैठक के दौरान  वित्त वर्ष 2012-13 के लिए आयोग ने  बिहार की 28,000 करोड़ रूपये की वार्षिक योजना को मंजूरी दे दी, जो पिछले साल के मुकाबले 4000 करोड़ रूपए ज्यादा है।  साथ ही योजना आयोग द्वारा राज्य के लिए विशेष पैकेज को 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी जारी रखने से संबंधी नीतीश सरकार की मांग को भी मान लिया गया है । जबकि विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग पर कोई सकारात्मक आश्वासन अब तक आयोग ने नहीं दिया है। इसके समबन्ध में योजना आयोग द्वारा एक प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा जिसमे यह तय होगा कि राज्य को हर साल कितनी धनराशि देने को मंजूरी दी जाए

नीतीश सरकार के प्रथम कार्यकाल की गन्ने से इथेनॉल बनाने के लिए कंपनियों को बिहार आमत्रित करने की घोषणा उस समय समय बेकार हो गयी जब केंद्र सरकार की एक नीति ने इसमे पेंच फंसा दिया कि गन्ने से इथेनॉल नहीं बनाया जा सकता, बड़ी कंपनिया, जो बिहार में निवेश को तैयार थी, उन्होंने हाथ  पीछे खीच लिए और बिहार का विकास जहाँ था वहीँ ठहर गया, सरकार और वहां के लोगों के सपने चूर  चूर  हो गए. लेकिन नीतीश तो क्या किसी भी राजनितिक दल ने इसका विरोध नहीं किया और ना ही उस नियम में बदलाव के लिए किसी तरह के आन्दोलन की बात की. लेकिन अब नीतीश बाबू और उनकी पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन की बात कर रहे हैं .

नीतीश बाबू को विशेष पैकेज और विशेष राज्य का दर्जे की बात की जरुरत अपने दुसरे कार्यकाल में ही क्यों पड़ी ? हुआ यूं कि , नीतीश सरकार अपने पहले कार्यकाल में सड़क और क़ानून व्यवस्था दुरस्त करने का छलावा जनता को  देकर दूसरी बारी सत्ता पर काबिज तो हो गए. पर उनके इस छलावे की पोल बिहार में अपराध के बढ़ते ग्राफ ने पूरी तरह खोल कर रख दिया,  पहले शासन काल में  विकास के नाम पर बिहार में सिर्फ सड़कें बनीं. और उनमें से ज़्यादातर सड़कें केंद्रीय योजनाओं के अंतर्गत बनी, इसकी पोल पट्टी भी जनता के सामने खुल चुकी है, जगह जगह जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, बक्सर जिले में तो उन पर पथराव भी किया गया था.  बिजली के नाम पर केवल पटना जिला ही खुशहाल है बाकी जिले बिजली को आज भी तरसते ही हैं, 

अपने दुसरे कार्यकाल में नीतीश बाबू की सरकार हर मोर्चे पर बिफल रही, बाढ़, भ्रष्टाचार, घोटाला, बिजली, और सबसे बड़ा बढ़ा अपराध ग्राफ, की मारी ये सरकार अपने अगले चुनावों में विशेष पैकेज, विशेष राज्य के दर्जे  को भावनात्मक मुद्दा बनाने की तैयारी में है,  जनता के सामने ये रोना रोया जाएगा कि केंद्र सरकार मदद नहीं कर रही है.   अपनी कमी को केंद्र सरकार की कमी बता कर जनता के सामने पेश किया जाएगा, लेकिन नीतीश बाबू ये जनता है ये सब जानती है .

1 comment:

  1. नीतीश सरकार अपने पहले कार्यकाल में सड़क और क़ानून व्यवस्था दुरस्त करने का छलावा जनता को देकर दूसरी बारी सत्ता पर काबिज तो हो गए. पर उनके इस छलावे की पोल बिहार में अपराध के बढ़ते ग्राफ ने पूरी तरह खोल कर रख दिया,.......सौ बात की एक बात। बिलकुल सही लिखा भाईजी आपने।। समसामयिक आलोचनात्मक लेख के लिए साधुवाद।

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